हे नारी तुम्हें मैं क्या कहूं ?
हे नारी तुम्हें मैं क्या कहूं ?
हे नारी तुम्हें मैं क्या कहूं - इस सम्बोधन में क्या और कितना कुछ कहूँ
कोशिश करता हूँ कुछ कह पाऊँ और कह पाऊं जो शायद कहा ना गया कभी
हे नारी
तुम प्रेम हो, तुम आस्था हो, तुम विश्वास हो
हर नव जीवन का तुम ही आधार हो
हे नारी तुम उम्मीद हो, तुम भक्ति हो, तुम सरिता हो
हर वेद के सत्य होने का तुम ही प्रमाण हो
हे नारी, तुम प्यार हो, तुम दुलार हो, तुम करुणा हो,
तुम सीता हो तुम मीरा हो तुम राधा हो,
तुम ही शबरी और तुम ही अहिल्या हो
हर युग के कल्याण की तुम ही गाथा हो
हे नारी, तुम ही सत्य की परिभाषा हो
हे नारी तुम्हें मैं क्या कहूं - इस सम्बोधन में क्या और कितना कुछ कहूँ
