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Gaurav Chhabra

Abstract Tragedy Classics

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Gaurav Chhabra

Abstract Tragedy Classics

बहुत उदास है आज ये मन

बहुत उदास है आज ये मन

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बहुत उदास है आज ये मन

पैर पसार रहा खालीपन

किस ओर जाऊं कहाँ से लाऊं

खुशियों में डूबा सिर्फ एक क्षण 


ना कोई अपना है, ना है कोई बेगाना 

सब जगह भीड़ है, पर मेरे अंदर सूनापन 


ना कोई दोस्त है, ना है कोई दुश्मन 

मुलाकातों का दौर है, पर बिना कोई स्पंदन 


बहुत उदास है आज ये मन

पैर पसार रहा खालीपन।


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