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Vivek Shaw

Abstract

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Vivek Shaw

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निर्जन स्थान

निर्जन स्थान

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हम राह के मुसाफिर है पर

एकांत में सुख है

एकांत में रहना

संवेदना देता मुझे,

सुकून सा मिलता

आत्मा से मिलाता मुझे

एकांत तो साथी है

अकेलापन बुरा है।


हम राह के मुसाफिर है पर

व्याकुल होते जब भीड़ से

मुक्ति देता एकांत

अक्सर खुद को

सम्हालने के लिए

मन खोजता है एकांत

अकेलापन घबराहट है, 

एकांत में खुशी

और मेरे कविता की तिजोरी


एकांत धुन है, शीतल है

संगी है प्रीत है।

खुद का खुद से

मिलाने का पथ है।


भूले बिसरे यादों का

नदियों सा बहाव होता

और उन नदियों से निकल

मन नई राह को बुनता।


एकांत में भी

होता हलचल कुछ

और नया सृजन करता,

हम 

राह के मुसाफिर है पर

कभी कभी एकांत में रहते हैं।



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