STORYMIRROR

Jyoti Astunkar

Abstract

3  

Jyoti Astunkar

Abstract

काश

काश

1 min
354

वो समय वापस मिल जाये,

मैं भी उड़ लूँ कुछ दूर,

उस ऊँचे गगन में,


ठंडी हवाओं से अरमान,

खिलते फूलों सी ताज़ी इच्छायें,

पंछियों के चहकने जैसी हंसी,

और बस खुले आसमान में मेरी उड़ान,


खुद कुछ तो करने का वो अंदाज़,

मैंने ये किया है, वो एहसास,

ये मेरी पहचान है, वो कहने का मज़ा,

खुद के लिए कुछ करने का एहसास,


बहुत देर तो नहीं हुई है अभी,

बस ज़रा सा उम्र का तकाज़ा है,

पर कुछ अरमान है जो पूरे करना है,

और बस कुछ दूर उड़कर चले जाना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract