बेटियाँ हैं खास
बेटियाँ हैं खास
चूल्हे-चौके तक ही नहीं सीमित होती हैं बेटियाँ।
हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं बेटियाँ।।
चारदीवारी से बाहर निकल अंतरिक्ष पहुँची बेटियाँ।
गरीबी से संघर्ष कर देश की पहली नागरिक बनी बेटियाँ।।
नाज़ुक न समझो,आसमान में भी भिड़ जाती है बेटियाँ।
सभी के क्लेश मिटाने, बखूबी सत्ता संभालती बेटियाँ।।
कलम से तलवार तक चलाने का हुनर रखती है बेटियाँ।
अपनी रक्षा हेतु, दुश्मनों की नोंचती बोटियां भी बेटियाँ।।
सुरक्षा कवच सम लक्ष्मण रेखा स्वयं खींचती है बेटियाँ।
अवनि से अंबर तक जीत के परचम लहराती है बेटियाँ।।
पहली मुस्लिम रज़िया राज दिल्ली की संभाल, बढ़ाया मान बेटियाँ।
पहली आदिवासी महिला द्रौपदी, बनी आज राष्ट्रपति बेटियाँ।।
