मेरी आवाज़
मेरी आवाज़
क्या तू मेरी आवाज़ सुन सकता है?
मैं चुप बैठने वालों में से नहीं
तेरे बाप का चलता फिरता माल नहीं
क्या समझा था तूने मुझे
इतनी दरिंदगी करने के बाद जाने दूंगी तुझेl
क्या तू मेरी आवाज़ सुन सकता है?
जो तुझ जैसे हैवान ने मिलकर
मारा पीटा बेरहमी से मुझे खुलकर
ना इज़्ज़त, ना लिहाज, ना मोहब्बत, ना प्यार
एक-एक पल का लूंगी बदला, हो जा तैयार
क्या तू मेरी आवाज़ सुन सकता है ?
जो सरिए तूने मुझ में डालें
जो कपड़े तूने मेरे उतारे
मनोरंजन का साधन बना पीटा घसीटा
जो तूने मुझ
आ गई हूं तेरा वही हाल अब करने
क्या तू मेरी आवाज़ सुन सकता है?
मेरे माँ -बाप की आँखों से निकला हर आँसू
मेरे मुंह से निकली उन आठ दिनों की हर तड़प
मेरे तन के हर एक ज़ख्म का बदला
काली माँ का रूप धारण कर आ रही हूं
तेरा गला हलाल करनेl
क्या तू मेरी आवाज़ सुन सकता है?
यदि नहीं तो अब सुनेगा
मैं तेरे हर समय का चलता फिरता खेल नहीं
मिट्टी का बेजान वह खिलौना नहीं
इंसान हूं मैं, औरत हूं मैं
सीने में दिल है तो हाथों में जान भी
मारना डाला वहीं हास्य करके तेरा
तो कहना,
किसी लड़की को छूने लायक नहीं बचेगा
वह दरिंदगी दोबारा करने लायक नहीं बचेगा तू l
