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Kiran Bala

Inspirational

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Kiran Bala

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जीवन का आनंद

जीवन का आनंद

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कितना अजीब लगता है न

यह देखना और सुनना

एक पिता ही बेच देता है

अपने बेटे की किताबें

कि वह रह नहीं सकता

एक दिन बिन शराब पिए


या फिर लगा देता है बच्चा

स्वयं ही किताबें दाँव पे

क्योंकि हैं उसकी भी जरूरतें

पूरी करने को कुछ बुरी लत

लिए फिरता है संग अपने

जो रहती हैं सदैव उसे जकड़े


ये जीवन कोई खेल नहीं

ईश्वर की अनमोल भेंट नई

आलस्य का जहाँ स्थान नहीं

है गतिमान नहीं विराम कहीं

बिन ज्ञान जहाँ विकास नहीं

है हार यहाँ तो है जीत यहीं


फिर वंचित ज्ञान के दीपक से

क्यों रहते या करवाते हो

नशे की लत में तुम पड़ के

जीवन व्यर्थ गंवाते हो

तुम पड़े कूप के मेंढ़क से

क्या जानो जग की विशालता को

यूँ तिल-तिल मरते रहने से

समझो जीवन की सार्थकता को


एक बार का मिला ये जीवन

नहीं जल्दी दोबारा आता है

बिगडे़ को संवारने का मौका

हाथ किसी किसी के आता है

है कर्मठ जो बस वो ही यहाँ

इस पथ पर टिक पाता है

संघर्षों से जूझ कर ही यहाँ

आनन्द जीवन का आता है



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