साहित्य-संगीत की दुनिया
साहित्य-संगीत की दुनिया
नवरंगो के बरसात की तरह मैं,
मेरा जीवन तरबतर करता हूं,
मेरी कलम और संगीत से मैं,
हमेशा मग्न बनकर रहता हूं।
शब्द सागर के मोतियों से मैं,
मेरी गज़ल का श्रृंगार करता हूं,
प्रेम राग में बंदिश बनाकर मैं,
सबको मदहोशी में नचाता हूं।
मुझे कला का अभिमान नहीं है,
मैं हमेशा निर्मलता में रहता हूं,
साहित्य-संगीत का साधक हूं मैं,
फिर भी एक छोटा-सा तिनका हूं।
भले ही मैं वयोवृद्ध हूं फिर भी,
कलम और संगीत से मैं युवान हूं,
साहित्य - संगीत में डूबकर "मुरली",
मेरा मानव जन्म सफल करता हूं।
