"पंख हौसलों के"
"पंख हौसलों के"
हौसलो में जान हो,
तो फिर क्या जहान हो,
उम्मीदो में शान हो तो,
फिर क्या जहान हो,
दिल में हो सुकून तो,
फिर क्या जहान हो।
कहानी में हो करिश्मा
तो फिर क्या जहान हो,
भर लो एक बौनी उड़ान,
तब जीयो जिंदगी को,
फिर क्या जहान हो।
नए इरादों में बुनकर,
पहचान को ढूँढलो,
एक पहेली को फिर,
पहेली से बुन लो।
कर दो कुछ ऐसा यारो
जो इतिहास में हो,
एक दम नया,
कर सकने के ख्वाब को,
कभी तो जिंदा रखो,
तब जीयो जिंदगी,
फिर क्या जहान हो।
