फलसफा जिंदगी का
फलसफा जिंदगी का
करी थी हमने भी कोशिश,
जिंदगी को समझने की,
पर असल बात तब जानी,
जब अपने ही छोड़ जाने लगे,
असल दुःख भी तभी हुआ,
और असल सुख भी तभी हुआ,
दुःख इसलिए हुआ कि,
अपनों ने ठुकराया पर यकीनन,
सुख इसलिए हुआ कि,
लोगों की सच्ची पहचान हो गयी,
अब आत्मविश्वास टूटकर भी मजबूत था,
कर रहा था मन सब कुछ हुआ जैसे सुलझन,
डोर पतंग की कमजोर सही,
पर हवा के रुख से कभी डरी नहीं,
उड़ना था उसे आसमान में,
जो रोके उसे ऐसा किसी में कोई साहस नहीं,
लहराते लड़खड़ाते वो मंजिल पा ही लेती है,
बेसब्र मन को भी जैसे धड़कन मिल ही जाती है,
करो वही यारो जो दिल कहे,
क्योंकि दिल कभी गलत नहीं होता,
और हौसला जो टूटे,
वो अडिग नहीं होता,
पा ही लोगे मंजिल अपनी एक दिन,
क्योंकि जमाना बस सताता है,
जो टूटे दिल को बहलाता है,
पर असल गम को वो,
फिल्मी ही जताता है।