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Savi Sharma

Inspirational

5  

Savi Sharma

Inspirational

अनहद नाद

अनहद नाद

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549


अनहद नाद में गूंज 

गूंजती है शिराओं में 

जब गूंजता है 

मातृत्व का 

बोध 

कई विलक्षण 

अनुभव में गिरता 

फिसलता मन 

कभी विस्मित 

भ्रमित कभी आह्लादित सा

भीतर युवती के 

जन्म लेता विराट  मातृत्व 

नये रूप में ख़ुद को पाती है 

शनैः शनैः

ख़ुद के भीतर जन्म लेता है 

ब्रह्माण्ड 

एक नये जीव के रूप में 

जुड़ जाती है 

उसकी साँसे नन्हे अबोध से 

यूँ ही गुज़र जाते है नौ महीने 

उसकी करवटों 

हलचलों से धड़कता है 

ह्रदय 

सींचती है अपने रक्त से 

और फिर होता है 

मौत के भीतर से एक जन्म 

रुदन प्रक्रिया से 

हाँ एक बार फिर 

लेती है जन्म माँ के रूप में 

प्रसव पीड़ा 

हो जाती है धूमिल 

गोद में पा 

नन्हा अस्तित्व 

चिपटा लेती है वक्ष से 

माँ बनना आसान कहाँ था 

मौत से जूझ कर।


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