मैं बादल दीवाना सा
मैं बादल दीवाना सा
मैं बादल आवारा सा
मस्ताना सा
दीवाना सा
मैं बादल आवारा सा
चाह यही है
बरसूँ वहाँ....
जहाँ मुझे पाने की चाहत है
या, खेलूँ आँख-मिचौनी
इन मस्तमौला हवाओं संग
मैं बादल आवारा सा
मस्ताना सा
दीवाना सा
मैं बादल सबका हूँ
कोई विशेष नहीं है मेरा
खुद को मिटाकर
औरों के लिए जीना
यही काम है मेरा
मैं बादल आवारा सा
मस्ताना सा
दीवाना सा
मैं तो बादल....
बस, बना हूँ मिटने के लिए
मेरा बनना, मेरा मिटना
निर्भर है जीवन विकास
क्रम के लिए
मैं बादल आवारा सा
दीवाना सा
मस्ताना सा
नभ में विचरण करता हूँ
इसका कोई कोना नहीं है अपना
जहाँ कहीं ठहरता हूँ
तप्त वसुंधरा की प्यास
वही बुझाता हूँ
मैं बादल आवारा सा
मस्ताना सा
दीवाना सा