नव वर्ष का स्वागत
नव वर्ष का स्वागत
इस मुक्कमल जहां से
क्या शिकवा करूँ?
जो लम्हा गुजर गया...
क्यों उसे याद करूँ
ऐ नई साल तुझसे यही उम्मीद है
खुशियों की नजराना तू दे
हर शख्स को गम और जफ़ा
से दूर कर दे
इस मुकम्मल जहां से क्या
शिकवा करूँ...
जो लम्हा गुजर गया
क्यों उसे याद करूँ?
ऐ मेरी तन्हाई
अब तू शिकवा ना कर
आँखों में अश्क का समंदर है
फिर भी, लबों पे मुस्कुराहट रख
नई साल, नई उम्मीद की किरण है
बीते लम्हों को भुलाकर
मैं क्यों ना इसका स्वागत करूँ?
क्यों ना इसका स्वागत करूँ?