मेरे अल्फाज
मेरे अल्फाज
कभी तो मिलेगी
मुझे मेंरी मंजिल....
यह दिल का मुुसाफिर
चला जा रहा है।
यूँ ही नहीं मिलती
मंजिल किसी को
बहुत कुछ खोना पड़ता हैं।
एक बसंत को पाने के लिए
पतझड़ को भी सहना पड़ता है।
3चलना है,चलना है
चलते ही जाना है।
ना झुकना है, ना रुकना है
बस, मंजिल को पाना है।