काल के क्रम में रही शून्य है, वो ही तो प्रकृति काल के क्रम में रही शून्य है, वो ही तो प्रकृति
जिन्हें बनने के क्रम में मैं कई बार चखता हूँ। हाँ, मुस्कुराहटें कैद हैं। जिन्हें बनने के क्रम में मैं कई बार चखता हूँ। हाँ, मुस्कुराहटें कैद हैं।
यह टूटना और जुड़ना एक क्रम है प्राकृतिक क्रम यह टूटना और जुड़ना एक क्रम है प्राकृतिक क्रम
ज्ञान, कर्म का कितना भी हो भांडार उसके साथ कोई ना खड़ा ज्ञान, कर्म का कितना भी हो भांडार उसके साथ कोई ना खड़ा
पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती पर जीवन में खुशियों की जब बारी है आती
जिंदगी और मौत का खेल कौन खेल रहा है...? हम किसकी हाथ की कठपुतलीयां है...? यह तो ऊपरवाले का ही सारा क... जिंदगी और मौत का खेल कौन खेल रहा है...? हम किसकी हाथ की कठपुतलीयां है...? यह तो ...