Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Yugesh Kumar

Romance

4  

Yugesh Kumar

Romance

कैद है मुस्कुराहटें

कैद है मुस्कुराहटें

1 min
62


कैद है मुस्कुराहटें

मुस्कुराहटें कैद हैं

इस फिज़ूल की तू-तू मैं-मैं में

जिसमें न तुम जीतती हो न मैं

बस जीतता है प्रेम

प्रेम जो बेअदब है, बेसबब है

और हाँ बेवजह है।


मुस्कुराहटें कैद हैं

वही तुम्हारी नुक्ताचीनी में

परथन से सने तुम्हारे इन हाथों में

और हाँ तुम्हारे सँभाले उन 

करारे नोटों में 

जिन्हें तुम चाह कर भी

कभी खर्च न कर सकी।


मुस्कुराहटें कैद हैं

तुम्हारी उन लटों में

तुम्हारे माथे पर पड़ी सिलवटों में

जो उभर पड़ती हैं

जब मैं घर जल्दी नहीं आता

और हाँ तुम्हारी बनी उस

खीर की मिठास में

जो मैं तुम्हारे आँखों से चखता हूँ।


मुस्कुराहटें कैद हैं

तुम्हारे और बच्चों के लाड़ में

बागान में फैले खरपतवार में

जिन्हें मैं फेंकता हूँ, फिर उग आते हैं


जैसे हमारी नोंक-झोंक के बाद हमारा प्यार

और हाँ उस खट्टी-मीठी आम के अचार में

जिन्हें बनने के क्रम में मैं कई बार चखता हूँ।

हाँ, मुस्कुराहटें कैद हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance