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Yugesh Kumar

Abstract Romance

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Yugesh Kumar

Abstract Romance

चम्पा का फूल

चम्पा का फूल

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शाम जब डूबता है सूरज

तो रात के साए में 

कोपलें फूटती हैं आसमान की

और निकलते हैं तारे

मैं उन फूलों को एक पहर

देख खुश नहीं हो पाता


मुझे चम्पा का फूल पसंद है

जो बिखेरता है खुशबू

जिसे न उजाले से डर लगता है

न जिसे अंधेरे की पनाह पसंद है

वो जो उन्मुक्त है


और जो शोर करता है

अपनी भीनी खुशबू से

और कहता है मैं हूँ

मेरा अस्तित्व है

मुझे ऐसा ही प्रेम चाहिए


तुम मेरे जीवन का सितारा 

बन सको या न बन सको

हाँ, पर चम्पा का फूल 

जरूर हो जाना।


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