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Savi Sharma

Abstract

4.7  

Savi Sharma

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जीवन के रंग

जीवन के रंग

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ज़िंदगी तेरे ज्वार भाटे के रंगो की पहचान अभी अधूरी है

क्षितिज में भी अम्बर अवनि की मुलाक़ात अभी अधूरी है

आस्था की रंगोली, अमावस का घिरता कोहरा

विरह की पायल, पायल में कोयलिया का चेहरा


बहती नदियों में रुठने मनाने का सागर से मिलना ज़रूरी है

बड़ों के आशीर्वाद तले बचपन का संवरना भी ज़रूरी है

फुटपाथ पे सोता बचपन, महलो की तिलस्मी बातें

फूलों से महकता जीवन, अलाव में जलता जीवन


समय चक्र में बँधे जीवन रंगो की बारिश का असर ज़रूरी है

अर्जुन के ज्ञान युद्धों के कोहराम का असर जानना ज़रूरी है

स्वार्थ में लिपटे वसन, ममता की थपकी

विषेले सर्प से नेता, अर्थ में लिपटी आबरू


नेकी, बदी रहे कर्मों का उधार चुकाना इस जीवन ज़रूरी है

आगम निगम की आँख मिचोली का खेल जानना ज़रूरी है

कही जीवन में मौत, मौत में चाह जीवन

ढलती साँझ में प्रेम, रुग्ण काया सुख


ख़ाली हाथ के चित्कार की आवाज़ पहचान ज़रूरी है

अभी मुझे जीवन के बनते मिटते रंगों की पहचान ज़रूरी है।


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