काफ़िला
काफ़िला
काफ़िला है एक और मंज़िल भी एक है,
कोहरे की चादर फैली हर ओर है।
रास्ता ढूंढना है कठिन,
बीच रास्ते अब रुकना है कठिन,
छान कर कोहरा और ये धुंध गहरी,
हम पा लेंगे मंज़िल को अपनी।
काफ़िला है एक और मंज़िल भी एक है,
कोहरे की चादर फैली हर ओर है।
हर मोड़ पर एक नई चुनौती तैयार होगी,
घबराकर चुनौतियों से हमारे सफ़र की
रफ्तार ना कम होगी,
गिरकर उठेंगे,
हम राहों में बस चलते रहेंगे।
काफ़िला है एक और मंज़िल भी एक है,
कोहरे की चादर फैली हर ओर है।
मन में हौसला है मजबूत,
उम्मीद के धागे की डोर है अटूट,
ज़िन्दगी के इस रंगमंच पर अभी किरदार कई हमें निभाने हैं,
बंजारे है हम राहों के हमें खोजने अपने ठिकाने है।
