"सबको मैं अपनाता हूँ "
"सबको मैं अपनाता हूँ "
लिखना भी नहीं आता है ,ना गीत कोई गढ़ पाता हूँ ,
जो मन हमें भा जाता है ,उसको ही मैं अपनाता हूँ !!
राहों में कितने लोग मिले ,कुछ साथ रहे कोई चले गए ,
हर लम्हों को आज भी मैं ,यादों का महल बनाता हूँ !!
जो मन हमें भा जाता है ,उसको ही मैं अपनाता हूँ !!
खुशियाँ मिलने पे नाच उठे ,गम को भी अपनाया मैंने ,
है नहीं शिकायत कभी मुझे ,सबको ही मैं अपनाता हूँ !!
जो मन हमें भा जाता है ,उसको ही मैं अपनाता हूँ !!
हर हाल में रहना सीख लिया ,काटों के चुभन को जान लिया ,
फूलों के कोमल स्पंदन से ही ,दिल को मैं नित बहलाता हूँ !!
जो मन हमें भा जाता है ,उसको ही मैं अपनाता हूँ !!