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Paavnieka sharma

Inspirational

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Paavnieka sharma

Inspirational

अदम्य

अदम्य

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रिक्त है यदि कोष तो क्या,

बाहुओं में बल अभी है।

विष भरे अपमान दंश,

छीन सकते जीवन कभी है?

दु:खों से संघर्ष कर के,

जीतने की चाह प्रबल है।

छीन ले यदि विधि सभी कुछ,

पर क्या कौशल की कमी है?

जिजीविषा अब भी है बाकी,

स्वप्न न अब तक मरे हैं।

चट्टान से मेरे इरादे,

मजबूत वैसे ही धरे हैं।

महाकाल का अंश मुझमें,

काल क्या मुझको ग्रसेगा?

अमृत पिया है वेदना का,

क्लेश मुझको डस सकेगा?

मैं विकल, उद्दाम निर्झर,

रोक सकतीं मुझको शिलायें?

मैं प्रबल, बागी पवन हूँ,

बांध सकतीं मुझको दिशायें?

समर्पण मेरा है अनुपम,

अदम्य मेरा आत्मबल है।

मैं सतत चलता रहूँगा,

यह अटूट संकल्प अटल है।


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