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Paavnieka sharma

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Paavnieka sharma

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नव वर्ष का स्वागत

नव वर्ष का स्वागत

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गत वर्ष हेतु, अभिलाषा से जीवन-थाल सजाया था,

आँख बिछायीं थीं पथ पर, आशा का दीप जलाया था,

बन पाहुन आ जीवन में कुछ सुख-दुख नूतन डाल गया,

चंद नयी स्मृतियाँ बुन कर पीछे यह भी साल गया।


पाहुन था, आकर चला गया; नियम सदा यह नियत रहा,

पुनः नहीं मिलना होगा, सर्वदा यह भी विदित रहा।

विदा विगत को दो लेकिन आशा-दीप जलाये रखना,

आगंतुक नव वर्ष हेतु जीवन-थाल सजाये रखना ॥१॥

नव पाहुन के स्वागत में फिर नये प्रण निर्मित होंगें,

कुछ दिन पालन होगा फिर जीवन में दब विस्मृत होंगे।

माह अंत आते-आते नव वर्ष पुराना हो जायेगा,

जीवन फिर वही पुरानी नित दिनचर्या दोहरायेगा।


पर नूतन के आकर्षण में कैसे न नवल प्रयास करूँ,

इस बार मेरा मन कि हर क्षण जीने का अभ्यास करूँ।

उन्नति में चिर रत रहने का मनु-स्वाभाव बनाये रखना,

आगंतुक नव वर्ष हेतु जीवन-थाल सजाये रखना ॥२॥


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