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Rajeev Rawat

Inspirational

4  

Rajeev Rawat

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खुशियां - - दो शब्द

खुशियां - - दो शब्द

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खुशियाँ तो

हर किसी के दिल में बहुत पास होती हैं-

सच तो यह है कि 

खुशियाँ एक अहसास होती हैं-


मां की गोदी में

लेटा करते हुए स्तनपान

और कभी मां के प्रेममय स्पर्श से ही 

पा लेता है ढेर सारी खुशियां 

इसलिये बेवजह मुस्करा देता है-

और उधर मां का मातृत्व भी 

उस नन्ही सी खेलती-मुस्कराती 

जान में अपना सब कुछ पा लेता है-। 


थका हारा पुरूष 

अंधेरी रात में भी अपनी प्रेयसी बाहों में

अपनी थकान को मिटाता है-

कुछ पलों के लिये ही सही दांपत्य जीवन में खुशियां तो पा जाता है-


पत्नी या प्रेयसी

अपने पति या प्रेमी के सीने पर सर रखकर अपनी उंगलियों से 

अपने प्यार के निशां गोदती है-

शायद इसी में छुपी

अपनी खुशियां खोजती है-


मां-बाप 

खुद भूखे और फटे हाल रह कर

अपने बच्चों के सुखद भविष्य के सपने बुनते हैं-

और शायद अपनी खुशियां छोड़ कर

उनकी खुशियों में अपनी खुशियाँ चुनते है-


हर व्यक्ति की 

खुशियां और मंजिल अलग होती है-

कोई रूमाल में खुशियां समेट लेता है

और किसी की चद्दर भी खाली होती है-


खुशियां 

गरीबी और अमीरी का भेद नहीं करती है-

अंतर केवल लकड़ी का होता है

किसी की चिता साधारण और किसी की चंदन में जलती है।

            




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