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Nandini Upadhyay

Inspirational

4  

Nandini Upadhyay

Inspirational

पिता

पिता

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पिता वो छाया है जीवन को जो शीतलता देती है 

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है,


पिता वो माली है, जो पौधों को वृक्ष बनाता है,

लहू अपने से सींचकर बच्चे को सक्षम बनाता है,

माँ की कोख में बच्चा पिता के दिल में पलता है,

माँ की गोद में सोता पिता की झोली होती है ।

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यो गौण होती है


अपने सपनों बच्चे के भीतर वो बुनता चलता है,

कभी राह भटके तो उसको ठीक करते चलता है,

खाना माँ बनाती है, पिता की मेहनत होती है 

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है


बाहर से है कठोर भीतर से वो कोमल हृदया है 

बच्चों की खातिर आंखों से आंसू भी बहाता है ।

साथ माँ का आशीर्वाद, पिता की हिम्मत होती है

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है


पिता वो आशा है विश्वास कभी जो कम नहीं होता है,

माँ का लाड़ होता है, पिता अनुशासन होता है ।

ख्वाहिश बच्चे करते है, पिता की गुल्लक होती है

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है


डांट में छुपा हुआ तुमको कभी वो प्यार नहीं दिखता,

उसका गुस्सा दिखता है कभी तो लाड़ नहीं दिखता,

सजा तुमको वो देता, तकलीफ उसे भी होती है 

माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है



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