नन्ही कलियों की हत्या कर खुले घूम रहे हैं हत्यारे। नन्ही कलियों की हत्या कर खुले घूम रहे हैं हत्यारे।
अब जनता ने मन्थन करने की ठानी है अपना मत विवेक से देने को भृकुटी तानी है। अब जनता ने मन्थन करने की ठानी है अपना मत विवेक से देने को भृकुटी तानी है।
दुनिया छोटी, रुपए गोल बड़े हैं अनजानों में अपने सारे गौण खड़े हैं। दुनिया छोटी, रुपए गोल बड़े हैं अनजानों में अपने सारे गौण खड़े हैं।
खाना माँ बनाती है, पिता की मेहनत होती है माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण होती है खाना माँ बनाती है, पिता की मेहनत होती है माँ के आगे छवि फिर उसकी क्यों गौण ह...