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Leena Kheria

Tragedy

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Leena Kheria

Tragedy

घोर अपराध..

घोर अपराध..

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मॉं ...ओ मेरी ...मॉं

मुझको आज तू ये बतला

आखिर क्या है मेरा दोष

क्यूँ दुनिया में है इतना रोष


क्यूँ कोख में मेरी हत्या कर ड़ाली

उगने से पहले कली कुचल डाली

उस बाग को कौन बचा पाया

जिसका हो ह्रदयहीन निर्मम माली


जाने कैसा कलियुग है आया 

मनुष्य हो गये हैं क्यूँ हत्यारे

द्वेश व भेद भाव की संकीर्ण 

सोच के आगे विवश है सारे


जिन स्वार्थी लोगों ने जबरन

आपकी ममता को मार दिया

ऐसे इन्सानियत के हत्यारों को

आपने फिर क्यूँ माफ किया


हाय ये कैसा दुराचार है

जाने ये कैसा व्यभिचार है

विभत्स हुई दुनिया में जिसका

कोई करता नही प्रतिकार है


गौण हो गया हर अपराध 

मौन हो गये हैं अब सारे

नन्ही कलियों की हत्या कर

खुले घूम रहे हैं हत्यारे।


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