हॉं तुम लड़के हो
हॉं तुम लड़के हो
चाहे छाये हो गम के बादल या
हो सीने में दर्द का सैलाब
लड़के अपने अश्कों को अपनी
ऑंखों में छुपाना जानते हैं
हर हाल हर परिस्थति में उन्हें तो
बस मुस्कुराना है
लड़के मन ही मन हमेशा से ही
ना जाने क्यूँ ऐसा मानते हैं
घर परिवार व समाज का
सदा ही उनको संबल बनना है
प्रचलित सदियों से है सोच यही ये
लड़के बखूबी पहचानते हैं
खुलकर जीने व भावनाओं को
व्यक्त करने का हक हो
आइये उन्हें यह अवसर देने का
हम सब ठानते हैं।