मरणोपरान्त...
मरणोपरान्त...
अंतेष्ठी उपरान्त
अति आवश्यक होता है
कुछ क्रिया कलाप करना
मोक्ष प्राप्ति हेतु अस्तियों को
नदी में विसृजित करना
ब्राह्मणों को भोजन करवाना
श्राद करना...
शोकाकुल परिवार जन
अपने संबन्धी के
चले जाने के दारूण दुख के
उपरान्त भी प्रयास करते हैं यथाशक्ति व विधिवत
सब सम्पन्न करना...
किंतु अनुचित है अत्याधिक पारिवारिक व सामाजिक
दबाव ड़ालना
अतिक्रमण है आर्थिक क्षमता
से अधिक व्यय करने के लिये
किसी को बाध्य करना...
विचारणीय है कि क्या
वास्तव में इतना अनिवार्य हैं
श्राद्ध करना
क्या मरने वाला सच में
कभी भी चाहेगा
अपने परिवार को
किसी भी तरह
पीड़ित या शोषित करना...
