मील के पत्थर
मील के पत्थर
मील के पत्थर मौन खड़े हैं
राहों की दूरियाँ मिटाते यह कौन खड़े हैं
दुनिया छोटी, रुपए गोल बड़े हैं
अनजानों में अपने सारे गौण खड़े हैं।
दोस्ती के ट्रेंड नए शुरू हो गए हैं
अजनबी फेसबुक फ्रेंड हो गए हैं
गोरखधंधे के यह बाजार खूब फल-फूल रहे हैं
करीबी, भाई-बंधु, अब खल-शूल रहे हैं।
व्हाट्सएप, फेसबुक टि्वटर धमाल मचाते हैं
तार इंटरनेट के कोठे-कोठे इतराते हैं
नुक्कड़, चौक-चौराहे, सूनी अब गलियाँ है
नेट के मकड़जालों की उलझन, बड़ी ही छलिया हैं।
भाई-बंधु सभी साथ-साथ बैठे सौदाई हैं
फेसबुक फ्रेंड से आशनाई, हाथों में सबके मोबाइल है
मील के पत्थर मौन खड़े हैं
एकाकी जीवन के साथी यह कौन खड़े हैं---?
