सुख की याद संजो रखना
सुख की याद संजो रखना
मंज़िल चूमेगी पांव तेरे तू,
तू अंत समय तक ना थकना,
लाख डराते आशंका के बादल,
तू एक पग भी पीछे ना हटना,
दरवाजे चाहे बन्द हौं कितने,
आशा की खिड़की खुली रखना।।
दुख के साये गहरे हैं पर,
सुख की याद संजो रखना,
सीखो उस गौरइया से जो,
त्रण त्रण चुन नीड़ बनाती है,
आंधी जब बिखरा देती तो,
फिर से तिनके चुन लाती है,
इस दुख के गहन कुहासे में,
उम्मीद की किरण बना रखना,
दुख के साये गहरे हैं पर,
सुख की याद संजो रखना।।
सूरज को भी ढलना पड़ता,
और चांद ग्रहण में आता है,
ये नियम रहा है प्रकृति का,
बदलाव इसे बस भाता है,
सागर उफान पर है नाविक,
पतवार को तू बस थामे रखना
दुख के साये गहरे हैं पर,
सुख की याद संजो रखना।।
