विद्या
विद्या
(मुहावरों वाली रचना)
सब से उत्तम दान कहते जिसे वह विद्या दान है,
दान देकर कुंदन सा चमकता बनता महान है I
अंधियारे को दूर करके रौशनी यह फैलाता है,
जिसके पास विद्या वह अपना सिक्का जमाता हैI
खुशहाली आती संग –संग ज्ञान सबका बढ़ता है,
जो अपनाता इसको वह आकाश को छू जाता है I
जो न समझे इसको वह पशु समान कहलाता है ,
वह दूसरों की उँगलियों पर ही नचाता रह जाता है I
विद्या से ही हमको मान और सम्मान मिलता है ,
जो न समझे इसको वह उलटे मुँह ही गिरता है I
विद्या को अपनाकर हम अंधविश्वास को मिटाते है ,
नित आगे बढ़ते और हर किला फतह कर जाते हैं I
जिंदगी में हमेशा जो अपने बल पर जीना सीखते हैं ,
तभी हर गाढ़ी कमाई का मूल्य वो पहचानते हैं I
जानो इसको यह अनपढ़ को भी विद्वान बनाता है ,
बाद के दिनों में वह तो चैन की बंसी बजाता है I
