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संदीप सिंधवाल

Inspirational

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संदीप सिंधवाल

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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निगाहों पर जमाने ने पहरे लगा रखे हैं 

कि क्या रिश्ते तुमसे गहरे लगा रखे हैं।


महल सा आशियाना बनाया था तुमने

बाहर चौकीदार गूंगे बहरे लगा रखे हैं।


तुमसे चाहत की चाहत रखते हैं लोग

तभी चेहरे पर कई चेहरे लगा रखे हैं।


इरादे भी नेक नहीं हुआ करते कभी

हार पर जो मोती सुनहरे लगा रखे हैं।


एक मतलब पर काबिज है ये दुनिया

सोहिलियत के इर्द गिर्द डेरे लगा रखे हैं। 


प्यार का दुश्मन एकतरफा रहा जमाना

सिर्फ नागिनों के लिए सफेरे लगा रखे हैं। 


"आगे खतरा है" का इश्तहार लगा जहां

वहीं निगाहें शाम सवेरे लगा रखे हैं 


चिरागों की शमा बुझ भी जाय तो क्या

अंदर तो हौसलों के अंगारे लगा रखे हैं। 


हकीकत ही तो अनमोल है 'सिंधवाल'

दांव पर कई सपने मेरे लगा रखे हैं।



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