गुरु
गुरु
गुरु की वाणी वेद है,
गुरु ज्ञान आधार है,
गुरु बिन मिलें न देवता,
गुरु जग का आधार है।
प्रलय और निर्माण,
गुरु गोद में पलते है,
ये देते है चेतन जग को,
जीवन सुखी बनाते हैं।
गुरु बड़ा भगवान से,
पारब्रह्म परमेश्वर हैं,
अन्धकार में ज्ञान की,
ज्योत् गुरु ही देते हैं।
प्रथम गुरु मेरी माता को,
द्वितीय गुरु अध्यापक को,
बाकी जिनसे भी ज्ञान मिला,
सबको मेरा प्रणाम है।
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरुदेवो महेश्वरा!
गुरु साक्षात् परं ब्रह्म,तस्मै श्रीगुरवे नम:!!