फरेब की उम्र
फरेब की उम्र
ज़माने में आज भी भरोसा करते हैं लोग
मक्कारों की तादाद बेशक ज्यादा है।
तुमने ठगने का हुनर तो सीख लिया ही है,
पर दान - वीरों की तादाद ज्यादा है।
तुम पहली मर्तबा मिले तो दिल धड़का,
फिर भी तेरा एतबार कर लिया मैंने,
तुम मेरा मुकद्दर बन तो नहीं सकते थे,
फिर भी फरेब पर एतबार कर लिया मैंने।
शिकवा या शिकायत तो कमजोर करते है,
हम तो अच्छे को अच्छा, बुरे को किनारे करते है
ये तो बस ईमान का मसला है, देखते है
वो हमें और कितना बदनाम करते है।
फरेब की उम्र ज्यादा लम्बी थोड़ी होती है,
चंद ठोकरों में ही दम तोड़ देती है,
भरोसा रख मैं तुझे बेनकाब नहीं करूँगा,
वक्त अच्छे- अच्छों को बेनकाब कर देती है।
मेरी मान ले और इजहारे इश्क़ कर ले,
मुझसे न सही तेरी पसंद से कर ले,
पर यकीनन जिस तरह तूने दिल तोड़ा है,
खुदा करे वो तुझसे मोहब्बत कर ले।