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Amit Kumar

Drama Fantasy

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Amit Kumar

Drama Fantasy

मेरे हिस्से में वफ़ा कौन करे?

मेरे हिस्से में वफ़ा कौन करे?

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मेरे हिस्से में वफ़ा कौन करे?

बंद जख्मों की दवा कौन करे,

मुझे देख कर मुंह फेर लेती है ये दुनिया,

मेरे जीने की दुआ कौन करे।


मुस्तकबिल जब साथ न दे तो, मशवरा मिलता है,

राह में पत्थर और कांटों का ज़खीरा मिलता है,

फूल भी जख्म देते है आजमा के देख लो,

जब पैसा न हो तो अपनो से भी सजा मिलता है।


टूटे पुल से मत गुजरो, मंजर डरवाना हो सकता है,

हर रात नींद न आए ये भी हो सकता है,

कुछ पल अपने साथ भी रहो यारों,

शायद आने वाला पल आखिरी हो सकता है।


रात में नींद और सपने आना मुमकिन है,

बिना बिछोनों के भी सो जाना मुमकिन है,

जब तक खुद्दारी जिंदा है, हस्ती दिखती है,

बेजान को हर तरह

 नचाना मुमकिन है।



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