फूलों ने चाँद की गिरफ्तारी की है!
फूलों ने चाँद की गिरफ्तारी की है!
फूलों ने चाँद की गिरफ्तारी की है,
आज किसी ने मेहनत बहुत सारी की है,
शायद गुल-ऐ-नादाँ को ये मालूम नहीं,
उन्होंने कोशिश हैसियत से भारी की है।
शौक तो सूरज को पकड़ने का रखते हैं,
पर कभी परिंदे की तरह जी कर देखा है!
कहीं तबीयत न बिगाड़ दे ये नुमाइश,
क्या इन्होंने इसकी तैयारी की ही?
मैं कोई डरा या धमका नहीं रहा हूँ,
बस थोड़ा अलग लहज़े में बता रहा हूँ,
खास के लिए खास, तो आम बात है,
पर मुझ खास के लिए क्या खास की है?
दिल-ओ-जान देना, सब कुछ लुटा देना,
ये खेल तो बहुत पुराना है लोगों का,
पर मेरा मानना थोड़ा अलग है,
की तुमने खाक में मिलाने की तैयारी की है।