कुछ तो खफा से हो तुम यूं ही नहीं नाराज़ होते थे। कुछ तो खफा से हो तुम यूं ही नहीं नाराज़ होते थे।
शांत ठंडी, हवा सी थी फितरत मेरी, जाने कब तबियत, बवंडर हो गयी है! शांत ठंडी, हवा सी थी फितरत मेरी, जाने कब तबियत, बवंडर हो गयी है!
तेरी औकात क्या है कहने वाले इतना मत इतरा तेरी औकात क्या है कहने वाले इतना मत इतरा
कसरत कर ले बढ़ेगी ताकत खौल उठेगा खून तेरा कसरत कर ले बढ़ेगी ताकत खौल उठेगा खून तेरा
मिरी इक जिंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन मिरी इक जिंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन
फिर अपनी जिंदगी के दस सालों तक, हमने कभी काॅफी को मुंह न लगाया था। फिर अपनी जिंदगी के दस सालों तक, हमने कभी काॅफी को मुंह न लगाया था।