क्या पता
क्या पता
कभी किसी को उसके
अंकों के आधार पर ना आंको
क्या पता लास्ट बेंच पर बैठने वाला
जिंदगी की दौड़ में पहला अंक ला सकता है
कभी किसी को घमंड में
सर ऊंचा नहीं रखना चाहिए
क्या पता वक्त उसे पूरी दुनिया के
कदमों में गिराकर झुका सकता है
कभी बुजुर्गों की दौलत हड़पकर
अमीरी दिखावा नहीं करना चाहिए
क्या पता तुम्हारा ही पुत्र तुम्हें
कभी सड़कों पर ला सकता है
कभी भी लोगों की हार का
यूँ ही जश्न नहीं मनाना चाहिए
क्या पता उनमें छिपी काबिलियत
कभी तुम्हें ही हरा सकती हैं
कभी कोई सुनने वाला ना हो तो
बातें दिल में दबाकर नहीं रखना चाहिए
बल्कि दिल की बातों को
कलम उठाकर लिख लेना चाहिए
क्या पता एक दिन ये जहां
तुम्हारा इतिहास बदल सकता है!
