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sonu santosh bhatt

Romance

4  

sonu santosh bhatt

Romance

क्या छिपाती हो ?

क्या छिपाती हो ?

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क्या छिपाती हो ?

दिल में क्या है ?

जो कभी नही बताती हो।

क्या बात है जो कहना भी है

कहते कहते चुप हो जाती हो।

क्यो तुम्हें खामोश रहना भी है ?


इंतजार किसका है,

मैं संग हूँ फिर किसके लिए रुकते हो।

ये झुकाव कैसा है ?

मोहब्बत, इबादत है या कुछ और,

जो अदब से झुकते हो।

या कोई दुआ मांगी है।


ये सुर दिल के तार से

मधुर इस बार है हर बार से

तुम कितना सुंदर गाती हो।

क्या छिपाती हो ?

दिल में क्या है ?

क्या बात है ?

क्यो रह रह इठलाती हो।

मंजर है क्या आंखों में


जिनमें काजल तुम लगाती हो।

बालो को संवारना

फिर संग उनके लहराती हो।

कुछ इशारे नैन तुम्हारे करते

कुछ बिन कहे समझ जाती हो।


कभी मायूसी दिखती चेहरे में तुम्हारे

तुम तो फिर मुस्कराती हो,

ये कौन सी अदा है ?

कैसी तुम्हारी अदाकारी है

खुशबू मेरी चाहत की है

जो हवा से छूकर तुम महकाती हो

वो बात निराली हो जाती खुद ही

जो मेरे लिए मुझसे, तुम कह जाती हो।


दुनिया अब मेरी तुम हो

तुम ही मुझको भाती हो।

क्या छिपाती हो ?

दिल में क्या है ?

कुछ कहना था कहकर

तुम यू ही अक्सर

बात दिल की भूल जाती हो।


सच में भूलती या बहाने बनाती हो

सोचते क्या हो ?

ऐसी क्या बात है ?

निराश क्यो होते हो ?

ये नही कोई आखिरी मुलाकात है।

अभी तो शुरू हुआ सिलसिला है

क्यो करती शिकायतें हो, कैसा गिला है।


ये सब बातों को छिपाने का क्या फायदा

खामोशियों से तो दरमियाँ ही मिला है।

कब तक भरके आँचल में खामोशी

तुम यूं रख पाओगी,

चाहत होगी अगर मेरी

तो जरूर एक दिन बताओगी।


फिर भी मैं हमेशा पुछूँगा एक सवाल

क्या छिपाती हो ?

दिल में क्या है ?

क्यों नहीं बताती हो ?


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