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Atiendriya Verma

Romance Others

4  

Atiendriya Verma

Romance Others

कैसे

कैसे

2 mins
257


कि कैसे भूल जाऊं हम उस चेहरे को जिसको देखने को अंखिया दिन रात तरसती थी ।

कि कैसे भूल जाऊं उस आवाज को जिस आवाज को सुबह शाम सुने का दिल करता था।

की कैसे छोड़ दूँ उस आदत को जिसकी आदत हमें लग गई।

कि कैसे वक्त के साथ आगे बढ़ जाऊं जब हर लम्हा थाम के जिया था उसके साथ में।

की सुप्रभात और शुभ रात्रि का टेक्स्ट कैसे करें ना करूं जब सुबह का

और रात का पहला और आखिरी कथन हुआ कृति थी ।


कैसे कर लूँ मैं चुप खुद को जब पहला और आखिरी अल्फाज लव यू हुआ करता था ।

अच्छा बताओ कैसे खुद को नाम कहने से रोक...जब कि नाम कहने से छेड़ना अच्छा लगता था ।

कैसी रात में आँखें बंद करके चैन से सो जाओ ...जब नींद में उठाने की आदत थी तुम्हारी ।

कैसे वो शामें भूल जाऊँ जब हर शाम में तुम एक बोलती थी पता है आज कुआँ हुआ ।

कैसे वो लड़ना भूल जाऊँ..जिसमें तुम मीठी सी हल्की दबी आवाज के सॉरी बोला करती थी ।

और लव यू ना बोलने पर ..कहती थी मान जाओ ना यार अगली बार नहीं होगा ।


अच्छा सुनो कैसे भूल जाऊं वो सब कैसे भूला दूं वो लम्हे कैसे भूला दूं वो हमारा पहली बार मिलना..

तुम्हारे मेरे कंधे पे हाथ रखना ।

कैसे वो लड़ना भूल जाऊँ..जिसमें तुम मीठी सी हल्की दबी आवाज के सॉरी अनमोल बोला कृति थी

और लव यू ना बोलने पर ..कहती मान जाओ ना यार .अगली बार नहीं होगा

अच्छा सुनो कैसे भूल जाऊँ वो सब कैसे भूला दूं वो लम्हे कैसे भूल जाऊँ तुम्हारा गुस्से में वो कहना बताऊँ अभी...

ऐसा है मेरे पास टेक्स्ट कॉल नहीं आना चाहिए बताऊं अभी... ब्लॉक कर दूंगी सुधर जाओ थोड़ा

फिर तुम्हारा बड़ी मीनातों के मन....


अच्छा बताओ एक बात कैसी बात ना करूँ तुमसे...

जिसकी आवाज सुने बिना दिन दिन नहीं लगता रात रात नहीं लगती थी

अब देखो ना हफ्ते और महीने गुज़र गए...


वो कॉल कट के टाइम बाय लव यू टेक केयर बोलना...कैसे भूल जाओ

तेरा वो बताते बताते खामोश हो जाने...डर के सहम के बात बताना...

वो खुश होके बोलना...हद्द यार ये क्या निकल गया...ये क्या होगा...आज मैंने ये बनाया...

कैसे भूल जाऊं तेरे अल्फ़ाज़ों को मैं...जिन अल्फ़ाज़ों में हम अपना सब कुछ करते थे....

कैसे भूल जाऊं वो हुस्न तेरा जिस हुस्न पर ये दिल थाम जाया करता था

कैसे भूलूँ वो हमारा पूरी बार मिलना.. तुम्हारे मेरे कांधे पे हाथ रखना। 

देखो अब ये आलम है की जो रात से सुबह तेरी बातों से होती थी

आज तारे गिन गिन के होती है तेरी यादों में गुजरती है।


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