तुम और तुम्हारा एहसास
तुम और तुम्हारा एहसास
एहसास तुम्हारा बारिश की बूंद जैसा है
खुशबू तुम्हारी बेमिसाल इतरा जैसी
जुल्फें तुम्हारी हवा के झोंके जैसी
बातें तुम्हारी नुक्कड़ की मीठी चाय जैसी
अल्फाज़ तुम्हारे दिल के गीत जैसे
ख्याल तुम्हारा रात में चांदनी के जैसे
साथ तुम्हारा बरसों के बाद जो कबूल हुई उस दुआ के जैसा
निगाहें तुम्हारी कमल की काली जैसी
आवाज तुम्हारी मधुर बांसुरी जैसी
होंठ तुम्हारे मानो गुलाब की नाजुक पंखुड़ी हो
अहहत तुम्हारी किसी खामोश राग को धुन मिले जैसे
ख़्वाबों में तू हकीकत के जैसे
सुभा में पहला ख्याल हो
रात का आखिरी अल्फ़ाज़ हो
मेरे हर खुले जख्म पर हल्दी का मरहम हो
मोहब्बत तुम्हारी
किसी पन्ने पर जैसे गहरे अक्षर जैसे
यादों में याद तुम्हारी है
ख्यालों में ख्याल तुम्हारा है
आँखों में चेहरा तुम्हारा
अक्स मोहब्बत का हमें जो है वो अक़्स भी तेरे नाम का है
जो गुजर गया वक्त उस वक्त
की याद का हर लम्हा हो तुम
आता दीदार से जिसके हमारी बेचैनियों को चैन है
उस चैन की मीठी सी
हकीकत हो तुम
ज्यादा और समझ नहीं आ रहा
कैसे बयां करूँ तुम्हें और तुम्हारे एहसास को
हाँ पर इतना मानता हूं की
तुम्हारे और तुम्हारे एहसास को बयां कर खातिर ऐसे अल्फाज कम ही होंगे।

