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Atiendriya Verma

Abstract Classics Inspirational

4  

Atiendriya Verma

Abstract Classics Inspirational

थोड़ा बहुत

थोड़ा बहुत

1 min
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थोड़ा बहुत

वक्त अपने लिए भी निकाल लिया करो

अपने ऊपर भी ध्यान दिया करो 

थोड़ा बहुत 

अपने बारे में भी सोच लिया करो


यूं जिंदगी की भाग दौड़ में खुद को कब तक खोते रहोगे 

क्यों जिंदगी के इन बेढंगे सवालों में अपनी खुशियों को ढूंढते रहोगे 

क्यों इन रिश्तों के सवालों में की कोन तेरा कोन मेरा 

क्यों इन रिश्तों की पहेलियां में खुद की आवाज को दबा रहे हो

क्यों तुम खुद से दूर भाग रहे हो 


क्यों अपने आप को अपनी ही बेडियो से बांध रहे हो

क्यों कुछ पल आईने में खुद को देख मुस्कुराते नहीं हो

क्यों जिंदगी की हर उलझन में खुद को उलझा रहे हो

क्यों जिंदगी के इस इम्तहान में अपनी परछाई से भी डर रहे हो


क्यों किसी के जाने से खुद को शोक में डुबाते हो 

जिसे जाना था वो एक बात के लिए चला गया 

जिसे नहीं जाना था वो एक बात के लिए रुक गया 

क्यों व्यर्थ में खुद को तुम गुमनाम करते हो

जिंदगी में इंतजार तेरा कोई कर रहा होगा 


पलकें बिछाए तेरे नाम का सुर गा रहा होगा 

तू उठ खड़ा होजा उसकी तलाश से पहले खुद की तलाश में लग जा

जो हीरा कभी तू बना चाहता था

वो हीरा तू बनके दिखायेगा 


थोड़ा वक्त अपने लिए भी निकाल लिया कर 

थोड़ा प्यार खुद से भी कर लिया कर।


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