एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा। एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा।
मरने के बाद नहीं मुझे जीते जी ही इंसाफ चाहिए...! मरने के बाद नहीं मुझे जीते जी ही इंसाफ चाहिए...!
इंसानियत की लौ तक बुझा आते हैं l इंसानियत की लौ तक बुझा आते हैं l
जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि। जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि।
बनाना चाहती थी तुझे अपने सर का ताज़ पर अफ़सोस तू तो मेरे जूतों के भी लायक़ नहीं था। बनाना चाहती थी तुझे अपने सर का ताज़ पर अफ़सोस तू तो मेरे जूतों के भी लायक़ नहीं ...
एक बार खुद से प्यार तो कर फ़िर करना वादे, भरोसा दूसरों पर। एक बार खुद से प्यार तो कर फ़िर करना वादे, भरोसा दूसरों पर।