सती
सती
एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा
बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा,
एक मासूम नव ब्याहता को
अपने पति की चिता की अग्नि में
जबरन फूंक डाला..
ये कैसा था परिवार, कैसा था समाज
और कैसे ही थे ये नियम रीति रिवाज
सोचो क्या बीती होगी उस मासूम पर
क्या था उसका दोष
पति के दुख से क्या ही उबरी होगी
क्या नहीं आया होगा रोष,
अर्थात..
पति की यदि आकस्मिक मृत्यु हो जाए
तो उसकी ब्याहता को भी जीने का अधिकार नहीं,
नहीं...
ये बिल्कुल अनुचित सोच है,
एक कुंठित प्रवृति है, उन लोगों की
जो ये मा
नते हैं कि...
"एक स्त्री का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं
कोई साथी बिना उसके जीवन का कोई मोल नहीं,
यद्यपि ये प्रथा समय के साथ समाप्त हुई है
सरकार के हस्तक्षेप से इसमें रोक लगी है,
परंतु मित्रों कई जगह आज भी कोई औरत
जो इस अवस्था से गुज़र रही है...
" हालात उसके भी ज्यादा ठीक नहीं हैं
बस अंतर ये है कि वो भी साथ में जली नही हैं,"
चूंकि हम भी इसी समाज का हिस्सा हैं,
तो हमारा भी कर्तव्य है कि
ऐसी संकुचित सोच को बदलें
और प्रत्येक स्त्री को उसका उचित सम्मान मिले
इस तरफ़ भी प्रयासरत रहें ।