गांधीजी
गांधीजी
"तीर तलवार की शक्ति सीमित होती है
प्रेम, सत्य, अहिंसा से ही जीत होती है।"
सत्याग्रही, स्वतंत्रता सेनानी का सदा स्वमान है,
'राष्ट्रपिता' के खिताब से उस बापू का सम्मान है।
दिखते चाहे दुर्बल थे, बुलंद उनका हौसला था
देशभक्ति से अपनी, अंग्रेजों को ललकारा था।
देश की आज़ादी खातिर आजीवन लड़ते रहे
कई आंदोलन किये, कई उपवास करते रहे।
ऊंच नीच, छूत अछूत में भेद कभी नहीं किया
सम्मान संग निम्न को हरिजन का नाम दिया।
चर्खा उनका बहुत ही प्रिय, खादी को ही अपनाया
स्वदेशी मांग बनी रहे, उस हेतु सबको तैयार किया।
तीन बंदर थे उनके प्यारे, बहुत ही सुन्दर पाठ पढ़ाया
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो ही सिखाया।
सत्य अहिंसा के पुजारी, परोपकार में मानते थे
विरोधियों को भी प्रेम से अपने वश में करते थे।