ख्वाब
ख्वाब
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ख्वाब कभी भी बेनकाब नहीं होते
वे दिल के किसी कोने में पलते हैं।
किसी की आर्ज़ू में, किसी जुनून में
किसी की उम्मीद में उम्र बिताते हैं।
ख्वाब जब आँखों से रूठ जाते हैं
अश्रुधार बन छलकने लग जाते हैं।
जब उन्हें हृदय में आसीन करते हैं
धड़कन संग साथ चलने लगते हैं।
किसी के समर्पित विश्वास से,
किसी के मन में बसी आस से,
ख्वाब जब हकीकत बनते हैं
तब कयामत सी आ जाती है।