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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Abstract

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

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देहलीज बता देती है

देहलीज बता देती है

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देहलीज बता देती है, घर के हालात,

आंखें ही बता देती हैं,मन की वो बात,

दर्द ही बता देता है, बीती है बुरी रात,

जीवन में मिलती है, तारों की बारात।


देहलीज बता देती है, जन में है दम,

क्रोध कभी आये तो, बन जाता बम,

हर हाल में इंसान को, रहना है सम,

क्रोध और लड़ाई में, कोई नहीं कम।


देहलीज बता देती है, आचार विचार,

कौन लोग ये हैं, लेते हैं कैसा आहार,

भाई भाई में मिलेगा, कितना ही प्यार,

दर्द दे जाता है सदा,लिया कर्ज उधार।


देहलीज बता देती है,चरित्र व व्यवहार,

कैसे रहते हैं घर में, कितना दिया प्यार,

कब तक रहे होंगे वो,घर के जन बेकार,

लाख कोशिश करे, नहीं हो सकती हार।


देहलीज बता देती है, इंसान के वो भाव,

सूखे रेत पर चलती है, किस मानव नाव,

कौन बाजी लगा दे,जिंदगी कैसे लगे दाव,

कब डर लगता है,कब बदलते हाव भाव।


देहलीज बता देती है, कैसे कांटे जन दिन,

दिनरात कमाते रहते, खुशियां जाती छीन,

काली काली रातों में,रोटी खाते गिन गिन,

कौन रोजाना निकालता, बोतल भरा जिन्न।


देहलीज बता देती है, कैसे मनाते त्योहार,

कब परिवार जीतता, कब हो जाती है हार,

किस परिवार में है, मिलता प्यार ही प्यार,

कौन परिवार व्यस्त रहता, कौन रहे बेकार।


देहलीज बता देती है, अदब अदाएं इंसान,

किस्मत के कौन मारे, किसकी है पहचान,

कब कहा कौन मिले, कौन बना है लाचार,

कौन मुख मोड़ लेता है, कैसा जन व्यवहार।।


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