शिकस्ता हाल है
शिकस्ता हाल है
तुमसे तो अच्छी है मेरी परछाई जो हमेशा साथ चलती है।
दिले दोस्त जैसी है मेरी तन्हाई जो हमेशा साथ रहती है।।1।।
अभी कुछ वक्त से शिकस्ता हाल है बहुत ये मेरी ज़िंदगी।
तुमसे तो अच्छी है दिल रुबाई जो जमाने को दिखती है।।2।।
खुदा ने तो दी थी आंखों में बीनाई अपनी खुदाई देखने के लिए।
ये नजरें तो है तमाशाई जो मेरे हालते गार पे हँसती हैं।।3।।
अपना समझकर जिनको दे दी थी हमनें अपनी ज़िन्दगी।
ना जाने कहा गए वह अचानक मेरी नज़रें बस उन्हें ढूढ़ती हैं।।4।।
खुदा ने ना जानें कितनें रिश्ते दिए थे हमें जीने के लिए।
पर रूह को मेरी बस उनकी ही आरजू पाने की लगी रहती है।।5।।
कितना समझाया अपनों ने मेरे दिल को यूँ बार-बार।
वरना इस ज़माने में किसी को किसी की ना पड़ी रहती है।।6।।