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Shilpi Goel

Abstract Inspirational

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Shilpi Goel

Abstract Inspirational

भेद

भेद

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ना मोटापा दुख का विषय,

ना पतला होना सुख का पर्याय है।

असल तो है बस जीव-आत्मा,

नश्वर शरीर तो बस एक सराय है।

ढूंढें खुशियाँ उदास मन से सब,

बोलो यह कहाँ का न्याय है।

स्वस्थ तन का भेद छिपा स्वस्थ मन में,

यह बात किसी की समझ में ना आए है।

खुशहाली का सही अर्थ जाना जिसने,

वही अपने स्वस्थ तन का सहाय है।

दौलत के चक्कर में देखो इंसान को,

स्वयं को ही कैसे-कैसे खेल खिलाए हैं।

यंत्रचालित बन चलता पीछे-पीछे,

कर्मठ है फिर भी बना असहाय है।

इस मशीनी युग ने बाँटे बस दुख हैं,

सब जानता फिर भी पीड़ा छिपाए है।

स्वच्छ भोजन और रोज व्यायाम,

स्वयं से करो अपने सब काम।

सेहत का असली खजाना यही है,

ऐ बंदे तू भला किस बात से घबराए है।



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