स्त्री कहलाती है।।
स्त्री कहलाती है।।
मजबूत इरादे रखती है
मुश्किलों से घबराती नहीं
आने वाली हर चुनौती का
मुकाबला कर जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
लक्ष्य तक पहुँचने हेतु
बेड़ियों से हार मानती नहीं
तोड़ कर सब बेड़ियों को
नया इतिहास रच जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
हृदय में उजियारा उसके
अंधेरे उसको रोक पाते नहीं
हर्षोल्लास ही नहीं आँसुओं को भी
शस्त्र बना जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
पर्वतों को हिलाने का हुनर रखती है वो
मुश्किल वक्त में भी कदम डगमगाते नहीं
कितना भी मुश्किल हो सामंजस्य बैठा
सब सरलता से निभा जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
है भीतर कुछ कर दिखाने का हुनर
मेहनत से वो जी चुराती नहीं।
बाहर-भीतर का सब कार्यभार
अकेले ही पूरा करती जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
आँखों में खुशी बसती है उसके
होंठों से वो अपने
हँसी को मिटाती नहीं।
अपनों की खुशियों की खातिर
गम भी हँसते-हँसते सह जाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।
कभी अल्हड़ कभी नाजुक
कभी बेबाक कभी सकुचाती है
कभी कहकहे लगाती दुनिया में
कभी होठों पर मुस्कान छिपाती है।
वो एक स्त्री कहलाती है।।